मैं नहीं हूँ पंछी
ना हूँ पशु प्राणी
मैं तो हूँ एक मानव
धरती माँ का लाल
करना सबकी सेवा
वृक्ष हो या पौधा
रखना सबका ध्यान
यह है मानवता का ज्ञान
जब भूख से कोई रोए
न हमसे भोजन होए
जितना संभव करो भला
मानवता की है यही कला
सबकी पीड़ा समझे
प्रेम की भाषा छलके
सबको दे सम्मान
न करे कभी अपमान
ह्रदय में जिसके करूणा
न किसी को हानि करना
निस्वार्थी हो के जीना
मानवता में ही रहना
हिंसा कभी न करना
ईर्षा से दूर रहना
धरती माँ के लाल
मानवता को सम्भाल
ना हूँ पशु प्राणी
मैं तो हूँ एक मानव
धरती माँ का लाल
करना सबकी सेवा
वृक्ष हो या पौधा
रखना सबका ध्यान
यह है मानवता का ज्ञान
जब भूख से कोई रोए
न हमसे भोजन होए
जितना संभव करो भला
मानवता की है यही कला
सबकी पीड़ा समझे
प्रेम की भाषा छलके
सबको दे सम्मान
न करे कभी अपमान
ह्रदय में जिसके करूणा
न किसी को हानि करना
निस्वार्थी हो के जीना
मानवता में ही रहना
हिंसा कभी न करना
ईर्षा से दूर रहना
धरती माँ के लाल
मानवता को सम्भाल
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