Sunday, September 25, 2016

घमंड की अज्ञानता

सच्ची बात न कोई सुनना चाहता
ऐसे लगे जैसे कोई मिर्ची खाता
अपने से निचे वाले को दबाना
ऊपर वाले आए तो रवाना

जब तक चलता सब कुछ सही
कुछ तो कहते ईष्वर ही नहीं
ठोकर खाकर जब संकट आए
दर दर भटके सब को मनाए

घमंड है सिर पर चढ़कर खड़ा
बात मनवाने की चिंता है सबसे बड़ा
जो कोई हर बात पे सिर हिलाए
ऐसे लोग उनको पसंद आए

अपने मन से समझे ज्ञानी
छोटे से करवाए अपनी मनमानी
टोक दे उसको बीच में जो
शत्रु बनजाए उनका वो

घमंड का है ये संपूर्ण लक्षण
सम्मान नहीं करता कोई इनका एक क्षण
किन्तु न होगा कभी इनका सुधार
क्योंकि घमंड में नहा रहा इनका विचार