Sunday, February 2, 2014

सुनो सत्य न रहो दुखी



सच्चाई से मुह न मोड़ो
क्रोध करके प्रेम न तोड़ो
सुनकर सहो या करो अन्सुना
सच्चाई तो सच्चाई है, बुराई से श्रेष्ठ दुगुना

मान लो बात सच्चाई कि
दुःख दे तुमको या लगे कडुवा
डाट के लड़के बात दबादो
सच नहीं दबता, न रहता अधूरा

अहंकारी, क्रोधी, ईर्षालु, बेईमान
करते है सदा सच्चाई का अपमान
करना नहीं उनको किसी का आदर
बड़ा या छोटा, ओढ़ के सिर पे घमंड का चादर

सत्य नहीं सेह सकता कायर
भड़के गा, भागेगा, बोलेगा कुछ उल्टा
कमज़ोर को देगा गाली
दात पीस के रेह जाये गा यदि मिले बलशाली

सत्य सुन ने कि जिसमे क्षमता नहीं
पाता नहीं सम्मान कभी, न बनता कभी ज्ञानी
करते है जो सदा मनमानी
त्याग दो उनको, करने दो नादानी

नहीं सुधरते, रहते दुखी और अपमानित
वे सुधरेंगे हालात से, न मेरे तुम्हारे वाणी से
न दया, न आंसू, न इनके आँखों में है पानी
वे तो रोते है अपने ही कर्म से, सदा बनते ज्ञानी

सुनो सत्य न रहो दुखी
न करो प्रयास उसे दबाने कि
सबकी सुनो सबकी सहो
बस सत्य करो, पर किसी को न उल्टा कहो