Saturday, March 7, 2015

अनुज संघ खेले होली रघुवीरा

साकेत में सरयू तट पे अबीरा
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
राजा दशरथ होते निहाल
मैय्या कौशल्या देती आशीष
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
अवध वासी दर्शन पाते
रंग गुलाल महल में लाते
मुनि वशिष्ट चहिता
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
सरयू मैय्या जल पहुचाए
अवध वासी रंग मिलाए 
भर भर छोड़े पिचकारी
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
माता पिता गुरु तिलक लगाए
मित्र बंधू संघ गोल बनाके
रंग गुलाल अबीरा 
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
होली अयोध्या की होली
गजब है आनंद उत्सव रंगीला
रसोई में मीठे मीठे गुझिया
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
महल भीतर प्रजा भीड़ लगाए
देखने राम और राम के भैय्या
की कैसे होली खेल हमारे रघुवीरा
आज हुई आनंदित साकेत नगरिया 
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा
साकेत में सरयू तट पे अबीरा
अनुज संघ खेले होली रघुवीरा

Sunday, March 1, 2015

रहे ईमान चाहे जाए सब कुछ

क्या पाए कोई बेईमानी करके
बस पापी में लिखवाए नाम
सज्जन से कोई छीन डपट के
बस गवाए अपना ईमान

सुख पाए कोई कितना ठग के
हे बेईमान इंसान
दुःख पाएगा हर गलती का
और होगा बदनाम

बेईमानी को देख देख के
क्रोध में आए सज्जन
मानो मेरी बात न मानो
दुःख पाएंगे सब दुर्जन

जितना देंगे वह कष्ट किसी को
पाएंगे उतना वे सूत समेत
उपयोग नहीं वह कर पाएंगे
खेत नहीं सब लगेंगे रेत

पापी लांघे सारी रेखा
लूट पाट के जो सब कुछ लेले
मुर्ख मनुष्य इतना न जाने
दंड देकर ईश्वर सब कुछ लेले

ईश्वर है न्यायधीश जगत का
करता न्याय दंड या क्षमा
ईमान मत गवा इंसान
चाहे करे कोई कितना भी मना

एकादशी भजन

बस जाए जब मन में अपने हरे राम हरे कृष्णा 
मिट जाए दुख कष्ट हट जाए सारी तृष्णा
पन्द्र्ह दिन का चंद्र महिना उजियरा और अंधियरा
शुक्ल और कृष्णा पक्ष चंद्र का ग्यारवा दिन लगे प्यारा

तु रखवाला है जगत का नही कोइ अंजना
एकादशी को करो उपवास गाओ भजन और गाना
फलाहार को ग्रहन करना ना एक तुकडा भी दाना
दो बार महिने में भूखा भी रेह जाना

पुन्य का अवसर मिलता है हमको
इश्वर अवसर देते है सबको
निंदा क्रोध ईर्षा और द्वेष
बचना इनसे व्रत के दिन ना करना कलेश

अनुचित वचन ना बोले किसी को
ऐसे मनुष्य से दूर रखले स्वयम को
करे सहायता ज्ञान और दान से
भगवत कृपा करेंगे अपने धाम से

दिन एकदशी है सबसे श्रेष्ठ
वैष्णव जन के व्रतो में श्रेष्ठ
प्रेम करे जो भगवन से
वह करे पुन्य हरदम मन तन से

मार्ग है यह प्रभु की ओर
जो आस्था हो दृढ होके भावविभोर