Sunday, June 1, 2014

माँ से बड़ा ना कोई जगत में

मर्यादा पुरुषोत्तम राम, जगतगुरु कृष्ण श्याम
करते है जगत में देखो, सब माँ का सम्मान |
भगवान से मिलवा दिया माँ ने, देखो ध्रुव और पार्थ
माँ की ममता में खोए है सब, माँ होती है निस्वार्थ |

चरण स्पर्श रोज माता का, है अपने देश का रिवाज 
दौड़ पडो सब छोड़ छाड़ के जब माँ दे तुमको आवाज़ |
हर लेती सब दुख कष्ट को, देती है वरदान
जो करे माँ का सेवा सम्मान वो होजाए गुणवान  |

बिन मांगे ही सब दे देती, न उस से कुछ अनजान
कोई नही इस जगत में देखो, माँ से बड़ा और महान |
क्रोध करके जब गाली देती, गाली नही वो आशीष है
सुख है उसका संतान के सुख से, संतान के लिए वो कवच है |

ठाकुर विकास भी चला है आज, कविता लिखने माँ के नाम
कहते है देखो गणेश भगवान, माँ के चरणो में चारो धाम |
जीवन की घड़ी में जब लगे ना कोई आस है
बस ये बात याद रखना की मेरी माँ मेरे पास है |

जीवन के हर क्षण में, रखना माँ का ध्यान
माँ से बड़ा ना जगत में कोई, ममता से उँचा ना कोई स्थान |
करना प्रेम और आज्ञा पालन, करना उसका सम्मान
स्मरण रहे भूल से भी हो ना पाए, कभी माँ का अपमान |

प्रेम का अर्थ माता, हम कहते अपने देश को भारत माता
भूक, प्यास मिटाने वाली, धरती, नदिया हमारी माता |
संतान का ना साथ छोड़े, देखो पशु पक्षीयो की माता
ईश्वर के पश्चात जगत में, सबसे बड़ी है माता |