Thursday, August 15, 2013

देश भक्त की कविता



आज़ादी का दिन है आज
यहाँ न चले अब किसीका राज
प्रेम, अहिंसा का यहाँ रिवाज़
पर शत्रु तुम दूर ही  रहना देश हमरा वीरों का समाज

आपस में न करो बवाल
पहले खुद से करो सवाल
देश भक्त तुम खुद को कहते
क्यूँ धरती के टुकड़े करते

सीमा पे जो खड़े जवान
उन्ही के कारन है देश महान
देश के लिए वे देते प्राण
प्रान्त की वे बात न करते सारा देश एक सामान

छबीस जनवरी और पंद्रह अगस्त
बस यही दो दिन क्यूँ रहते मस्त
रोज करो तुम देश की पूजा
अपने देश सा न कोई दूजा

सीचे खेत बोये धान
जिनको कहते है हम किसान
देता है कोई इन पर भी ध्यान?
ये न हो तो, न रहेगा का जान

देश बाँटने की जो करे बात
कभी न देना उसका साथ
देश भक्त को खरीद सके, नहीं यहाँ किसी की अवकात
कविता लिख कर मैंने कहदी, अपने सारी दिल की बात

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