मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं
फल मिलने की चिंता नहीं
कर्म करता रहूँगा मैं
असफलता से नहीं डरूंगा मैं
देखता हूँ की कितनी बार
पटकेगा तू मुझको हार
जीत के तुझको दिखा दूंगा
चाहे सारा जीवन बिता दूंगा
थकूंगा नहीं मैं तुझसे हार
चाहे हारू सौ सौ बार
तू भी सोचेगा एक बार
किस से उलझा हूँ मैं यार
मेरे जीवन के सब लक्ष्य
कर दूंगा तुझको प्रतक्ष्य
कोई व्यंग करे चाहे मारे ताना
बिना जीत के घर नहीं जाना
जब हार मुझसे टकराएगा
मैं तो गिरूंगा पर वह भी लड़खड़ायेगा
उठके जब मैं आऊंगा
तो हार तुझे दिखलाऊँगा
मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं
हार जीत की चिंता नहीं
फल मिलने की चिंता नहीं
कर्म करता रहूँगा मैं
असफलता से नहीं डरूंगा मैं
देखता हूँ की कितनी बार
पटकेगा तू मुझको हार
जीत के तुझको दिखा दूंगा
चाहे सारा जीवन बिता दूंगा
थकूंगा नहीं मैं तुझसे हार
चाहे हारू सौ सौ बार
तू भी सोचेगा एक बार
किस से उलझा हूँ मैं यार
मेरे जीवन के सब लक्ष्य
कर दूंगा तुझको प्रतक्ष्य
कोई व्यंग करे चाहे मारे ताना
बिना जीत के घर नहीं जाना
जब हार मुझसे टकराएगा
मैं तो गिरूंगा पर वह भी लड़खड़ायेगा
उठके जब मैं आऊंगा
तो हार तुझे दिखलाऊँगा
मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं
हार जीत की चिंता नहीं
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