Wednesday, October 2, 2013

दुःख देता है प्यार



तोड़ तोड़ के दिल को मेरे दिल मेरा उड़ा दिया
क्या रक्खा है प्यार व्यार में खुद को मैं समझा लिया
प्यार व्यार न मुझसे होगा दिल मेरा सनका गया
इतने दिन तक प्यार से बातें जो वह मुझसे करती थी
मैं तो समझा प्यार था उसको वह तो मुझपे मरती थी
जाना परखा उसने मुझको जान लिया जानकारी मेरी
सीधा साधा मैं बिचारा सोचा क्या बात है इसमें डरने की
मैंने सोचा मैं हूँ इसका ये भी मेरी होगी
इसके सिवा न दिल में मेरे और कोई होगा
ऐसा मैंने न किया तो उसके साथ होगा धोका
मैं तो रहता सोच में उसके, उसकी बातें करता मैं
वह न मेरा कहना माने, अपने मन की करती वह
बाकि सब का कहना माने, न जाने ठेस मुझे क्यूँ देती 
करता कोशिश खुश करने की, उतनी बेईज्ज़ती करती वह
न भूल सकू, न छोड़ सकू, नाही मैं खुश रेह सकू
दुःख देता तेरा प्यार है मुझको, नफरत अब मुझे प्यार शब्द से 
ऐसा ही तुझको करना था तो, मेरे दिल में प्यार न भरना था
कोई बात नहीं, न नाराज मैं तुझसे, तूने मेरी आँखें खोली
न पड़ना मुझको प्यार व्यार में, बदल जाते है लोग कभी भी 
कविता लिखना है मेरा काम, अब मैं करूँगा बस इसिपे ध्यान
खुश रहता था मैं कितना पहले, प्यार होगया है दुःख का कारण
यार मिटा इस गम को कोई, प्यार नहीं तो ना ही सही  

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