Sunday, September 22, 2019

जय हिन्द की सेना सबसे महान

थर थर कांपे शत्रु जिस से

शौर्यता के लाखों किस्से

सुरक्षित करे पुरे देश के हिस्से

जोखिम से भी जिनके रिश्ते


न हारे है ना हारेंगे

सब वीरो के सरदार है ये

साहस इनके सिंहो जैसे

ह्रदय से भी बलवान है ये


डटे रहे ये सीमा पे जब

लक्ष्मण रेखा बन जाए

शत्रु इन्हे जो पार करे तो

फिर से घर ना जा पाए


थकना जिसने सीखा नहीं

देश प्रेम कभी फीका नहीं

सहते है जो हर मौसम को

कभी ऐसे सैनिक देखे कहीं


वीरता के सारे गुण है

देश प्रेम की जिसमे धुन है

वीरगति का दिया प्रमाण

जय हिन्द की सेना सबसे महान


सुख चैन को जिसने त्यागा

हर रात में है जो जागा

न हो देश में कोई बाधा

किया भारत माँ से वादा


मैं करू प्रणाम तुम्हे जय जवान 

तुमसे देश को है अभिमान

भारत माँ की आन और शान

जय हिन्द की सेना सबसे महान

Sunday, September 25, 2016

घमंड की अज्ञानता

सच्ची बात न कोई सुनना चाहता
ऐसे लगे जैसे कोई मिर्ची खाता
अपने से निचे वाले को दबाना
ऊपर वाले आए तो रवाना

जब तक चलता सब कुछ सही
कुछ तो कहते ईष्वर ही नहीं
ठोकर खाकर जब संकट आए
दर दर भटके सब को मनाए

घमंड है सिर पर चढ़कर खड़ा
बात मनवाने की चिंता है सबसे बड़ा
जो कोई हर बात पे सिर हिलाए
ऐसे लोग उनको पसंद आए

अपने मन से समझे ज्ञानी
छोटे से करवाए अपनी मनमानी
टोक दे उसको बीच में जो
शत्रु बनजाए उनका वो

घमंड का है ये संपूर्ण लक्षण
सम्मान नहीं करता कोई इनका एक क्षण
किन्तु न होगा कभी इनका सुधार
क्योंकि घमंड में नहा रहा इनका विचार

Saturday, August 27, 2016

Life is a game

Life is a game
All are gathering score
But no one is getting bored
To whom should I blame
Even I am doing the same

Here, desire is the pain
But all thinks it's very main
Those who are calm
And not doing harm
Are the people in the world
Who is really living life

Scores in the game
Belonging to our name
Makes us happy
And shows how we are crazy

Victory just for self
Never wants to help
Making life a game
Selfish and no shame
As soon as possible
Get rid of this trend
This is not a life
This is just a game

Sunday, July 17, 2016

मानवता

मैं नहीं हूँ पंछी
ना हूँ पशु प्राणी
मैं तो हूँ एक मानव
धरती माँ का लाल

करना सबकी सेवा
वृक्ष हो या पौधा
रखना सबका ध्यान
यह है मानवता का ज्ञान

जब भूख से कोई रोए
न हमसे भोजन होए
जितना संभव करो भला
मानवता की है यही कला

सबकी पीड़ा समझे
प्रेम की भाषा छलके
सबको दे सम्मान
न करे कभी अपमान

ह्रदय में जिसके करूणा
न किसी को हानि करना
निस्वार्थी हो के जीना
मानवता में ही रहना

हिंसा कभी न करना
ईर्षा से दूर रहना
धरती माँ के लाल
मानवता को सम्भाल

Friday, June 10, 2016

मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं

मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं
फल मिलने की चिंता नहीं
कर्म करता रहूँगा मैं
असफलता से नहीं डरूंगा मैं

देखता हूँ की कितनी बार
पटकेगा तू मुझको हार
जीत के तुझको दिखा दूंगा
चाहे सारा जीवन बिता दूंगा

थकूंगा नहीं मैं तुझसे हार
चाहे हारू सौ सौ बार
तू भी सोचेगा एक बार
किस से उलझा हूँ मैं यार

मेरे जीवन के सब लक्ष्य
कर दूंगा तुझको प्रतक्ष्य
कोई व्यंग करे चाहे मारे ताना 
बिना जीत के घर नहीं जाना

जब हार मुझसे टकराएगा
मैं तो गिरूंगा पर वह भी लड़खड़ायेगा
उठके जब मैं आऊंगा
तो हार तुझे दिखलाऊँगा

मेरे प्रयास की कोई सीमा नहीं
हार जीत की चिंता नहीं