दर्द
सेह सकते है घाव का ,
पर
दुःख का दर्द सहा न जाए |
दुःख
का दर्द कोई क्या सुनाए ,
आवाज़
तो क्या आसू तक मिट जाए |
न ठहरा
है सुख , न ठहरे का दुःख |
पर
सुख के दिन होते तिनके समान ,
और
दुःख के दिन लगे पहाड़ विशाल,
बस
जीवन के पल का समय उपाय |
न लगे
किसी की दुवा भी जैसे ,
बस
लगे की रब रूठ गया है हमसे |
पर
दुवा भी लगे, दुःख भी मिटे ,
जैसे
जैसे समय बीते, वैसे वैसे कष्ट हटे |
जिसने
भी झेले दुःख के दिन रात ,
न कभी
करे फिर वह सुख की तलाश |
सुख
में हँसी , दुःख में आसू नहीं अब ,
न मोह
किसी से , न इच्छा रहे तब |
No comments:
Post a Comment