Sunday, August 26, 2012

अहंकार


मैं ने जो खुद को समझा ज्ञानी
यही मेरी नादानी थी |
किया काम जो मैं मनमानी
उस में मेरी हानि थी |

सरलता मेरे रास न आयी,
कठिनता अपनाया मैं |
सुख चैन मेरे पास से गुजरी
दुःख को गले लगाया मैं |

दिन और रात को एक बनाया,
इच्छा मन में छाया जो |
इस चक्कर में सुख मुरझाया,
भले सफलता आया हो |

रहेंगे मेरे साथ जीवन में
जिस किसी को समझा मैं |
निकल गए वह साथ छोड़ के
जब नजर उन्हें बोझ आया मैं |

बड़ा समझकर जिसे मित्र बनाया,
काम मेरे वह कभी न आया  |
सरल जनो को मुर्ख समझा ,
फिर भी दिया उन्होंने मान का दर्जा |

अहंकार से टूट गया मैं ,
इस से बस दुःख प्राप्त हुआ है |
अपने दुःख का कारण मैं,
पर दुःख ने ही घमंड से मुक्त किया है |

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