Sunday, March 1, 2015

रहे ईमान चाहे जाए सब कुछ

क्या पाए कोई बेईमानी करके
बस पापी में लिखवाए नाम
सज्जन से कोई छीन डपट के
बस गवाए अपना ईमान

सुख पाए कोई कितना ठग के
हे बेईमान इंसान
दुःख पाएगा हर गलती का
और होगा बदनाम

बेईमानी को देख देख के
क्रोध में आए सज्जन
मानो मेरी बात न मानो
दुःख पाएंगे सब दुर्जन

जितना देंगे वह कष्ट किसी को
पाएंगे उतना वे सूत समेत
उपयोग नहीं वह कर पाएंगे
खेत नहीं सब लगेंगे रेत

पापी लांघे सारी रेखा
लूट पाट के जो सब कुछ लेले
मुर्ख मनुष्य इतना न जाने
दंड देकर ईश्वर सब कुछ लेले

ईश्वर है न्यायधीश जगत का
करता न्याय दंड या क्षमा
ईमान मत गवा इंसान
चाहे करे कोई कितना भी मना

No comments:

Post a Comment